Thursday, December 22, 2011

kaisa hota??????

सर्दी की  वो सुबह काश उग आती,
आज  के उगते सूरज के साथ.
हरसिंगार  के उन फूलों के रंग,
खिल कर आते मेरी खिड़की के परदे पर.

धूप में बिछी सबके हिस्से की चादर,
और फिर सबके हिस्से की धूप..
आज मेरे हिस्से में आते तो,
कैसा  होता???

वो जलती हुई एक पूरी रात,
बड़े से आग  के घेरे में,
कितनी बातें कितनी  कहानियां,
और न जाने कितने ही चाय के प्याले..
coffee  house के इस ठिठुरते अकेलेपन,
उस चाय की गर्मी मिलती तो,
कैसा होता???

फिर वो सुबह आती,
आँगन में धूप उलीच  कर जाती,
और मैं थोड़ी और सर्दियाँ चुन लेती तो,
 कैसा होता???























Monday, December 5, 2011

Kyon

तुम कहते हो तुम मेरे हो....
फिर  ख्वाहिशों की लिस्ट से तेरा नाम क्यों नहीं मिटता .
हर रोज़ तू मिलता हर रोज़ बिछड़ता है...
और साथ मेरे चलते हैं,तू भी और तन्हाई भी.