Wednesday, April 20, 2011

मेरे छोटे शहर की बातें.....

फिर याद आती हैं,
गुनुनाती हैं,
मेरे छोटे से शहर की लम्बी सी गर्मियां...
जब मेरे चंदा मामा सोये कदम्ब की डाली के ऊपर,
और सुबह सूरज का कोई और कोना ढूंढना....


घर के तोते से पहले जागना,
भूख लगे तो कुछ बासी सा टूंगना...

छ्प छप कर आँगन के नलके पर नहाना,
फिर तौलिये के लिए भाई से झगड़ना...

बस्ते में किताबों की जगह अमियाँ भर कर ले जाना,
रास्तों में रुक रुक कर फिल्मों के पोस्टर्स देखना....

साइकिल पर चढ़ना और गिरकर ही नीचे उतरना,
दौड़ दौड़ कर हर कम पूरा कर लेना....

सन्डे की सुबह होमवर्क जल्दी ख़त्म कर रखना,
और फिर शाम तक दूरदर्शन पर सिनेमा के नाम का इंतज़ार करना...

माँ का डांटना हर बार की पढना कितना जरूरी है,
हमारा सोचना जीने के लिए खेलना भी तो जरूरी है.....


Tuesday, April 19, 2011

यूँ ही..

ज़िन्दगी अब किसी शाम के अक्श में नहीं ढल पाती.....
चाँद के रोशन से चाक पर खुद ही बिखरती जाती है

आँखों में किसी सेहर की सूरज की तमन्ना नहीं छुपती....
रातों के ख्वाबों में कोई बिंदिया सूरज वाली बुन सी जाती है

पलकें पिछली यादों के झिलमिलाते पानी से निखर ही नहीं पाती....
धुप तेज़ हो जैसे,जेठ की खुशियों की यूँ ही झपकती जाती है

कोई आकर पूछे मुझ से मेरा नाम क्यों??
जब तुम्हारे आने की आहटें,होने की सिलवटे सब उँगलियाँ लम्हों पर लिखती जाती हैं.

Monday, April 18, 2011

कोई बहाना तू ढूँढ लेना

एक वादा
एक कहानी
कोई भी बहाना ढूँढ लेना
कभी जब चाँद डूबे
मेरी भोर से भरी आँखों में
तुम नए से किसी ख्वाब का बहाना
मेरे सिरहाने रख जाना
सुबह जो धुलती सी हो
मेरे गिले बालों की बूंदों से
ऐसी किसी धुप का
सूरज तुम अपनी किस्मत में बुन लेना
चमकती सी मेरी चूड़ियाँ
तेरे तकिये के कोर पे रखा
चाँद हो जैसे
ऐसी रतजगों की कोई
प्यारी सी वजह ढूँढ लेना
मेरे हर कदम की कहानी
और हर बार थम जाने का ये शोर
तेरे आँखों के दायरे में
सांझ बन कर डूबे
ऐसी परिधि बुन लेना
कोई बहाना तुम ढूँढ लेना

एक ख्याल ही तो हूँ...

एक ख्याल ही तो हूँ
बदल ही जाऊँगा
जेहन में कभी
मिसरी सा घुल जाऊँगा
कभी कॉफ़ी का कड़वा रंग याद दिलाऊँगा

एक ख्याल ही तो हूँ
ग़ुम हो जाऊँगा
बादलों सा
साथ की बारिशें याद दिलाऊँगा

एक ख्याल ही तो हूँ
सुनाऊँगा ख्वाबों की सलवटें
कभी काजल तेरा
तेरे मुन्गिया होठों पे रख जाऊँगा

एक ख्याल ही तो हूँ
कभी कभी यूँ ही
गुलमोहर के मौसम सा
बस गुजर जाऊँगा
और कभी तेरा इमान बनकर
तेरी शख्सियत से चिपक जाऊँगा
एक ख्याल ही तो हूँ
बदल ही जाऊँगा